आम निकेतन तोषण Aam By Niketan Toshan
आम
निकेतन तोषण
Full story
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किसान का लड़का कितना भी डॉक्टर इंजीनयर क्युना बन जाये लास्ट में उसे खेती संभालनी पड़ती है।
मैं अजय २४ साल का एक लड़का, ऊचाई 5.8, वजन 69 किलोग्राम,हल्का गोरा ।
नागपुर से इंजिनयरिंग पूरा कर अपने गांव वर्धा के पास सेलू नाम के तहसील आ गया था।
सेलू शांत तहसिल थी।ज्यादा आबादी नही थी ।
मई के महीनों मैं सबके खेती का काम बंद रहता और हमारे खेती मैं काम चालू हो जाता।
क्यों कि खेती मेरी आम की थीं, फलो के राजा, 2 बिगा जमीन मैं 75 आम के पेड़ थे।
जिसमे 30 आचार के आम के थे बाकी सब ज्यूस वाले।
पूरे पेड़ो की हिफाजत करना पड़ता है।
२-४ पैरो वाले इंसानो से।
2 पैर वाले इंसान, 4 पैर वाले मिन्की बंदर।
उनको डाराके भागाने के लिए जगह जगह हर पेड़ पर शर्ट के अंदर भुसा भर पुतले बनाये गए।
उसको मराठी मैं बुजगवना बोलते, और जिस पेड़ पर आम ज्यादा उसपे करंट की नंगी तारे बिछा के रखी थी।
इतना सब इसके लिए करना पड़ता क्यों कि यही सीजन है जिसमे कमाई होती।
मैं रोज सुबह शाम पेड़ो को चेक करने निकल पड़ता था।
एक दिन मैं शाम को निकला, बड़े बड़े आम के पेड़ो के बीच एक रास्ता था।
मैं निकला, देखा तो एक पेड़ के आम गायब थे।
मैं उस पेड़ को पूरा घूम के देखा। एक डाल टूटी थी, मैं उस पेड़ के आजूबाजू देखा, बंदर के निशान नही थे, क्यों कि बंदर जहा खाते वही टट्टी नही तो सुसु कर जाते।
याने बगीचे मैं कोई तो घुसा था।
मेरे बगीचे को लोहे की तारो का एक कंपोण्ड था।
मैन अपने आदमी को बोल पूरा कंपाउंड चेक करने के लिए बोला।
कही से कोई चोर घुसने का निशान नही था।
पापा और मैं परेशान होकर अपने घर चले आये, बगीचे के बाहर ही मेरा घर था, पूरा बगीचा मेरे घर से दिखता था।
मुझे इतना प्यार है अपने बग़ीचेसे की दूसरी मंजिल की बेडरूम तैयार किया, जिसे पूरा आम के पेड़ को मैं देख सकु।
शाम के 7 बज गए थे।
तभी दरवाजे के बेल बज गईं, मैं नीचे गया दरवाजा खोला तो सामने पाटील चाचा थे।
पाटिल चाचा का खेत मेरे बगीचे को लगा था, 50 साल के होंगे, उनके दोनों लड़के पुणे मैं पढ़ाई कर रहे थे।
मैं भी बोहोत सालो से देखा नही था उनके लड़को को।
मैं उनको अंदर लेके आया वो बैठ, मुझे देख बोलते।
“कैसे चल रहा? अब खेती करेगा कि जॉब?”
में-यही खेती।
चाचा- मेरे आज दोनो लड़के आ गए,
तभी मेरे पापा आया गए।
वो उनको नमस्ते कर माँ को आवाज दे बोले “२ कप चाय बता दे, शक्कर कम रखने को बोल “
चाचा- दोनो आये शहर से, बोल रहे कि मैं खेती बेच चालू उनके साथ।
पापा- पर आप तो कर रहे खेती, उनको जाना है तो जाने दो।
चाचा- क्या करे बच्चे कभी समझते नही। 1 महीनो की छुटियो पर आए है।
Papa- कल लाओ दोनो को, खाना खाते, बोहोत साल हो गए, प्रशांत और रोशन को मिले।
चाचा- ठीक है, कल लाता, कुछ समज़ दिला दीजिये उनको
वो उठाके चले गए,
माँ दो कप चाय लेके आई, पर वो तब तक चले गए थे।
मैं और पापा दोनो बैठा कर चाय पिये।
Papa- शहर अपने साले के पास रखा दोनो बच्चों को, शहरी जीवन जीने, कभी उनको यह नही आने दिया, अपने उनको क्या यह अपना पन लगेगा।
मैं उनकी बाते सुन रहा था। मुझे भी शहर मे रहना है, चाचा अछा किये जो उनको दूर रखा, नही तो मेरे जैसे लाइफ रोज उठो 6 बजे , पानी मोटर चालू करो, पेड़ो को देखो, घास निकलो, गाय भैंस बकरी को देखो।
क्या है यहा, पर पापा के लिए सब मन मार बेठा था।
दूसरे दिन शाम को हमेशा की तरहा मैं बगीचे मैं घूमने गया।
एक पेड़ से फिर आम गायब थे।
मैं पापा के पास गया, वो भी सोचने लगे को चोर रहा।
पापा- जान दे पकड़ा जायगा, तू 2 चिकन ले जा, साफ कर पीस कर, माँ को देदे, आज वो आ रहे उनको चिकन खिलाते।
मै-ठीक है पर आम?
पाप- कोई चोरी कर कितना खायगा, छोड़, भगवान खाये समज़ छोड़ देना।
मैं वो जो बोले किया।
घर गया और सब रेडी किया, रात 8 बजे दरवाजे की बेल बजि।
मैं जाके दरवाजा खोला, सामने चाचा थे, उनके पीछे 2 लड़के रोशन और प्रशांत।
रोशन 5.9 उचाई का गोरा , घुंगराले बाल उसके, थोड़ी लंबी नाक, ब्लू शर्ट ब्लैक जीन्स पहने। उनका बड़ा बेटा, 29 साल का।
प्रशांत 5.8, 27 साल का, हल्का सवाल, सीधे बाल उसके रेड टीशर्ट ब्लू जीन्स पहना हुआ था।
तीनो नमस्ते कर अंदर बेठा गए। मेरे पापा आये उनसे बात करने बैठा गए, मैं अंदर से पानी लाया, सबको दिया, पापा के पीछे मैं खड़ा था, रोशन बैठा था, सबकी बाते सुन रहा था।
मैं उसको देख रहा था, पर एक टाइम ऐसा आया कि वो मेरे तरफ देखा, उसकी आँखें थोड़ी हल्की ब्राउन थी।
वो एकदम देखा तो मैंने ही आँखे फ़ेर ली।
उसके ध्यान आ गया था कि मैं उसको कंटिन्यू देख रहा हु करके, माँ ने खाना लगा दिया, हम खाना खाके बेठा गए।
प्रशांत घर चला गया, पापा चाचा बात करने लगे, मैं रोशन बाहर बैठा गए।
मुझे एक बगीचे का राउंड लगाना था।
मैन उसे पूछा
“भईया मैं एक राउंड मारके आता हूं, आप चल रहे?”
रोशन- हा चलो।
रात का समय था, दोनो साइड से पेड़ के बीच से रास्ता था, लाइट लगे थे।
पेड़ को बीच एक दम ठंडा लगता, क्यों कि गर्मी के दिनों में आम के पेड़ ठंडे रहते।
और आम की हल्की महक थी।हल्की हवा भी थी।
Me- आप क्या कर रहे पूना मैं?
He जॉब चल रहा, कंपनी मैं हु
Me सही है
He नही कुछ सही नही 12 घंटे काम करना फिर आराम नही
Me हा वो भी है
He तुम क्या कर रहे
Me इंजिनीरिंग हो गया बस यह खेती संभाल रहा
He बोर नही होता यहा
Me होता है कभी कभी पर पापा का मन रखना पड़ता।
He मैं अपने पापा को ले जा रहा पूना
Me पर यह कि इतनी खेती कोन बोयेगा? उनका मन नही, वो बता रहे थे मुझे
He फिर कुछ हुआ तो यार मैं वहाँ वो यहा
Me वो भी है
He तुम रोज वॉक लेते हो?
Me नही पर 2 3 दिन से चोरी हो रही। पता नही को आम चुरा रहा
He ह्म्म्म फिर CCTV क्यों नही लगाते?
Me पापा को आईडिया देना तो
He हा, तुम होक्या व्हाट्सएप्प पर?
Me हा
उसने मेरा नंबर ले लिया। और हम वापस आ गए घर।
रोशन बाइक पर बैठ गया, चाचा उसके पीछे बेठा गए।
मैं उनके बाइक के बाजू था। रोशन हाथ सामने कर शेक हैंड किया।
स्ट्रांग था उसका हाथ पर ठंडा।
वो किक मार सामने गया। फिर रुक पीछे पलट बोलता “आ अजय कभी घर”
मैं गर्दन हिलाक़े हा बोल दिया।
मैं अपने रूम आया। बेड पर बैठा मन ही मन हँसने लगा।
और पहले मोबाइक ओपन कर facebook से उसकी प्रोफाइल ढूंढ़ ऐड कर लिया।
मेरे दिमाग मे बस उसका चेहरा घूम रहा था।
उसके प्रोफइल के सब फ़ोटो देख लिया।
उसके फोटो देखते देखते उसका मेसेज आया व्हाट्सएप पर
“अच्छा था खाना”
Me थैंक्स , kal aao ghari papa ko idea DRDO
He- thik hai. Chalo Mai sone ja rha.. good night
Vo offline ho gya..मैं भी मोबाइल साइड मैं रखा सो गया।
दूसरे दिन सुबह वो घर आया।
टीशर्ट और ट्रैक पेंट पहने, टीशर्ट उसकी कॉलर की v कट थी।
जिसे उसके चेस्ट के बाल दिख रहे थे।
मैं उसको देख रहा था और वो पापा से बात।
मैं नजर चुराके उसके चेस्ट के बालों को देख रहा था। उसका परफ्यूम , उसके गीले बालों से शमप्पू की खुशबू से मेरा ध्यान उसके तरफ जा रहा था।
पापा को आईडिया अच्छा लगा, उन्होंने मुझे बोला की मैं शहर जाके उसके साथ समान जो लगता लेके आउ।
उसकी गाड़ी थी और वर्धा शहर था 20 किलोमिटर दूर।
हम दोनों 11 बजे निकल गए, रास्ते मे जाते जाते एक जगह लिम्बू पानी पीते हुए निकले।
गरमि बोहोत थी, पर कार के AC से थोड़ा अच्छा लग रहा था।
उसके गाड़ी मैं एक परफ़्यूम था, ठंडी हवा मैं एक महक भर रहा था।
मैं उसको नजर चुराके के बार देख रहा था, पता नही क्या चल रहा था मेरे दिमाग मे, ऐसा लग रहा था उसको एक बार चुहके देखु।
मैंने अपना हाथ गियर के साइड मैं रखा, वो जब भी टच करता उसका हाथ मेरे हाथ को लगता।
मैं भी पूरे रोड तक हाथ वही रखा, जब भी उसका हाथ लगता एक अजीब से खुशी मन ही मन होने लगयी।
पूरा समान खरीदी कर, बिल payment देकर हम 4 बजे निकल आये, घर पोहोचते 5 बजने वाले थे, पर मेरा पेट जवाब दे दिया उसको भूक लगी थी।
मैं रोशन को बोला “ कुछ खाते क्या?”
वो हसके बोला “ दोहपर को खाने की आदत है लगता, मैं ऑफिस मैं चाय पिता हु”
मुझे लगा इसको लग रहा होंगा की बिल इसको देना पड़ेगा इसलिए बोल रहा
मैं भी होशियार बोल दिया “कोई बात नही, तुम चाय पीना मैं समोसा खा लूंगा”
वो मेरे तरफ देख एक होटल रोक दीया।
वो सामने बैठ गया, मैं एक चाय और 2 समौसे मंगाए।
वो चाय का कप हाथ लिए मुझे देख रहा और मैं खाने को भीड़ गया। फिर ध्यान आया कि इसको तो पूछा नही, मैं उसके सामने पेट कर दी, उसके एक टुकड़ा खाया, अछा लगा उसे, उसने आर्डर कर दिया, वो भी खाने लगा।
मैं देख रहा था, वो मुझे देख बोलता “इंसान हु, अछा लगा तो खा रहा”
Me- हा मैं ऑफिस मैं सिर्फ चाय पिता हु।
वो बात सुन , उसका पैर मुझे मरता।मैं भी हस दिया उसकी नौटंकी देख।
फिर खाये पिये और घर चले आये।
शाम को उसने सारा सामान उतार दिया, दूसरे दिन सीसीtv के कनेक्शन वाले आने वाले थे।
सुबह 11 बजे आये २-3 बज गए उनको काम करते करते, रोशन को काम था तो वो आया नही।
मैंने कनेक्शन अपने रूम मैं ही किया, मेरे बैडरूम के कंप्यूटर को, रोशन बीच बीच मैं व्हाट्सअप कर मुझे पूछ रहा था।
मैं भी उससे 10 20 मिनट की ख़बर पोहोच रहा था।
कनेक्शन हो गए, और रात के 10 बज गए थे, मैं कंप्यूटर के सामने बेठा था, तभी ऊपर कोई चलके आने की आवाज आइ।
मैं पीछे देखा तो रोशन था।
ब्लू टीशर्ट ब्लैक ट्रैक पैंट पहने, मैं उसको देख हसके बोला “ अरे वाह तुम?”
वो बोलता “ देखने आया कि कैसे किया वो”
मैं अपने चेयर से उठा, उसको इशारा किया बैठने के लिए, वो नही बोला, मैं बेड पर बैठा गया, कंप्यूटर टेबल साइड मैं ही था तो टेबल को थोड़ा खिंचा और उसे बोला “थोड़ा समजा दो की कैसे use करना इसे?”
वो मेरे साइड मैं बेठा गया, और माउस पकड़ बताने लगा कैसे फारवर्ड करना कैसे कैमरा घुमाना यह वो।
तभी मुझे बोलता “अब जो जो बोला बताओ”
मैं उसे बताने लगा, तभी मैं भूल गया, माउस मेरे हाथों मैं था।
वो मेरे हाथों को पकड़ , माउस को मूव किया ।
उसका ठंडा हाथ, और touch एक अजीब दिल की धड़कन बना दिया। मैं उसको एक नजर देखा।
फिर चुप होकर वो मुझे पकड़ बता रहा था, वो क्या बोल रहा उसके तरफ ध्यान नही बस मेरा ध्यान ठंड को महसूस करने लगा।
Vo क्या क्या बोल बोला मुझे याद नही , फिर इस चक्कर मे रात के 11 बज गए।
मैंने उसे बोला कि क्या जाते इतने रात को रुक जाओ।
वो नही बोला फिर थोड़ी देर बाद वो खुद ही बोलता “एक नाईट वॉक ले?”
मैंने तुरंत हा बोल दिया, और वो मैं निकल पड़े।
बगीचे मैं ही, पेड़ो के बीच से चांदनी दिख रही थी, हल्की हवा और आम की महक अछि लग रही थी।
हम दोनों का हाथ टच हो रहा था, वो भी चुपचाप चल रहा था।फिर मैंने उसका हाथ पकड़ ने try किया।
उसने भी झट से पकड़ किया।
ऊँगीलियो मैं ऊंगीली फस गई थी, उसकी पकड़ एक भरोसा दिलाने वाली लग रही थी।
मैं औऱ वो धीरे धीरे बगीचे के अंधेरे साइड मैं गए।
वो एक पेड़ के साइड आके रुक गया, उसको चिपक खडा हो गया।
मेरा हाथ उसके हाथ मे नही था। हल्की चांद की रोशनी मैं वो मुझे देख रहा था मैं उससे।
उसने धीरे से हाथ खींच पास किया, मैं भी उसको चिपक गया।
उसने लेफ्ट पेर को पेड़ पर रखा , मैंने एक हाथ उसके पैर पर रखा, जांघो के ऊपर।
उसने भी लेफ्ट हाथ मेरे कमर को पकड़ा, धीरे धीरे जैसे जैसे वो खीच रहा था, मेरा हाथ उसके जांघों से कमर तक गया।
मेरा सर ऊपर होने लगा, और दोनों के ओठों की दूरियां कम होने लगी।
एक दम मेरे ओठों को उसके ओठ लगे, धीरे धीरे उसके upper लिप्स को दोनो ओठों से पकड़ दबाने लगा।
वो मेरे लोअर लिप्स को काटने लगा।
उसने अपना पैर नीचे कर दिया। दोनो हाथो से सर पकड़ किस करने लगे।
दोनो हाथो से कमर पकड़ लिया मैंने।
फिर थोड़ी देर बाद रुक गए। हम दोनों की सास भी तेज हो गई, मैन उसका राइट हैंड पकड़ रिटर्न्स अपने घर आया।
वो पीछे पीछे मैं सामने, उसका हाथ पकड़ उसे बेडरूम मैं लाया।
मैन दरवाजा लगा दिया, लाइट ऑफ कर दी।
एक जीरो लाइट शुरू था ओरेंज वाला।
हल्की ओरेंज रोशनी थी पूरे रूम।
Kiss करते करते हम बेड पर बैठा गए, मैन अपना टीशर्ट निकाल बाजू मैं फेक दिया।
उसने अपने दायांने हाथ से मेरे गालो को छूते हुए गर्दन तक ले गया, धीरे धीरे छाती तक ले गया, और कमर को पकड़ लिया, अपने लिप्स से मेरे चेस्ट की बटन को चूमने लगा।
मैंने उसके बालो को पकड़ लिया, वो धीरे धीरे काटने लगा, कभी दाये कभी बाये, मैं उसका टीशर्ट निकाल दिया।
मैं भी उसके गर्दन पर काटने लगा।उसकी पकड़ धीरे धीरे तेज होने लगी।
मैंने अपना ट्रैक पैंट निकाल दिया।
वो बेड पर था, पेर उसके जमीन पर थे, उसके सामने अपने जॉकी पर था मैं, उसने पकड़ मेरे पेट को चूमने लगा, एक गुदगुलि से होने लगी।
धीरे धीरे वो चूमते चूमते मेरे जॉकी को चूमने लगा।
में भी उसके बालो को पकड़ एक हाथ से उसके निपल को दबा रहा था।
धीरे से उसने जॉकी को नीचे किया, धीरे धीरे चूमने लगा, रात परवान चढ़ाने लगी और उसकी मुह की ताकत भी।
मैंने उसको बालो को पकड़ दूर किया, और उसका पेंट निकल साइड किया, रेड बॉक्सर भी निकल दिया।
कभी जो नही किया आज सारि हदे लांग कर मैंने हाथ मे लिया।
हल्का पानी था आया, एक बूंद थी, मैन उस बून्द को अपने जुबान से चखा, और हर खेत की फसल अलग होती पर ये कुछ ज्यादा ही था।
मेरे दिमाग मे बस यही था ये जो कर रहा ऐसा उसको भी करू।
मैं उसको चूमने लगा धीरे धीरे मुह मैं लेना शुरू किया, उसने मेरे बालो को पकड़ा, वो भी मुझे ज्यादा तकलीफ नही दे रहा था।
उसके गाड़ी मैं एक परफ़्यूम था, ठंडी हवा मैं एक महक भर रहा था।
मैं उसको नजर चुराके के बार देख रहा था, पता नही क्या चल रहा था मेरे दिमाग मे, ऐसा लग रहा था उसको एक बार चुहके देखु।
मैंने अपना हाथ गियर के साइड मैं रखा, वो जब भी टच करता उसका हाथ मेरे हाथ को लगता।
मैं भी पूरे रोड तक हाथ वही रखा, जब भी उसका हाथ लगता एक अजीब से खुशी मन ही मन होने लगयी।
पूरा समान खरीदी कर, बिल payment देकर हम 4 बजे निकल आये, घर पोहोचते 5 बजने वाले थे, पर मेरा पेट जवाब दे दिया उसको भूक लगी थी।
मैं रोशन को बोला “ कुछ खाते क्या?”
वो हसके बोला “ दोहपर को खाने की आदत है लगता, मैं ऑफिस मैं चाय पिता हु”
मुझे लगा इसको लग रहा होंगा की बिल इसको देना पड़ेगा इसलिए बोल रहा
मैं भी होशियार बोल दिया “कोई बात नही, तुम चाय पीना मैं समोसा खा लूंगा”
वो मेरे तरफ देख एक होटल रोक दीया।
वो सामने बैठ गया, मैं एक चाय और 2 समौसे मंगाए।
वो चाय का कप हाथ लिए मुझे देख रहा और मैं खाने को भीड़ गया। फिर ध्यान आया कि इसको तो पूछा नही, मैं उसके सामने पेट कर दी, उसके एक टुकड़ा खाया, अछा लगा उसे, उसने आर्डर कर दिया, वो भी खाने लगा।
मैं देख रहा था, वो मुझे देख बोलता “इंसान हु, अछा लगा तो खा रहा”
Me- हा मैं ऑफिस मैं सिर्फ चाय पिता हु।
वो बात सुन , उसका पैर मुझे मरता।मैं भी हस दिया उसकी नौटंकी देख।
फिर खाये पिये और घर चले आये।
शाम को उसने सारा सामान उतार दिया, दूसरे दिन सीसीtv के कनेक्शन वाले आने वाले थे।
सुबह 11 बजे आये २-3 बज गए उनको काम करते करते, रोशन को काम था तो वो आया नही।
मैंने कनेक्शन अपने रूम मैं ही किया, मेरे बैडरूम के कंप्यूटर को, रोशन बीच बीच मैं व्हाट्सअप कर मुझे पूछ रहा था।
मैं भी उससे 10 20 मिनट की ख़बर पोहोच रहा था।
कनेक्शन हो गए, और रात के 10 बज गए थे, मैं कंप्यूटर के सामने बेठा था, तभी ऊपर कोई चलके आने की आवाज आइ।
मैं पीछे देखा तो रोशन था।
ब्लू टीशर्ट ब्लैक ट्रैक पैंट पहने, मैं उसको देख हसके बोला “ अरे वाह तुम?”
वो बोलता “ देखने आया कि कैसे किया वो”
मैं अपने चेयर से उठा, उसको इशारा किया बैठने के लिए, वो नही बोला, मैं बेड पर बैठा गया, कंप्यूटर टेबल साइड मैं ही था तो टेबल को थोड़ा खिंचा और उसे बोला “थोड़ा समजा दो की कैसे use करना इसे?”
वो मेरे साइड मैं बेठा गया, और माउस पकड़ बताने लगा कैसे फारवर्ड करना कैसे कैमरा घुमाना यह वो।
तभी मुझे बोलता “अब जो जो बोला बताओ”
मैं उसे बताने लगा, तभी मैं भूल गया, माउस मेरे हाथों मैं था।
वो मेरे हाथों को पकड़ , माउस को मूव किया ।
उसका ठंडा हाथ, और touch एक अजीब दिल की धड़कन बना दिया। मैं उसको एक नजर देखा।
फिर चुप होकर वो मुझे पकड़ बता रहा था, वो क्या बोल रहा उसके तरफ ध्यान नही बस मेरा ध्यान ठंड को महसूस करने लगा।
Vo क्या क्या बोल बोला मुझे याद नही , फिर इस चक्कर मे रात के 11 बज गए।
मैंने उसे बोला कि क्या जाते इतने रात को रुक जाओ।
वो नही बोला फिर थोड़ी देर बाद वो खुद ही बोलता “एक नाईट वॉक ले?”
मैंने तुरंत हा बोल दिया, और वो मैं निकल पड़े।
बगीचे मैं ही, पेड़ो के बीच से चांदनी दिख रही थी, हल्की हवा और आम की महक अछि लग रही थी।
हम दोनों का हाथ टच हो रहा था, वो भी चुपचाप चल रहा था।फिर मैंने उसका हाथ पकड़ ने try किया।
उसने भी झट से पकड़ किया।
ऊँगीलियो मैं ऊंगीली फस गई थी, उसकी पकड़ एक भरोसा दिलाने वाली लग रही थी।
मैं औऱ वो धीरे धीरे बगीचे के अंधेरे साइड मैं गए।
वो एक पेड़ के साइड आके रुक गया, उसको चिपक खडा हो गया।
मेरा हाथ उसके हाथ मे नही था। हल्की चांद की रोशनी मैं वो मुझे देख रहा था मैं उससे।
उसने धीरे से हाथ खींच पास किया, मैं भी उसको चिपक गया।
उसने लेफ्ट पेर को पेड़ पर रखा , मैंने एक हाथ उसके पैर पर रखा, जांघो के ऊपर।
उसने भी लेफ्ट हाथ मेरे कमर को पकड़ा, धीरे धीरे जैसे जैसे वो खीच रहा था, मेरा हाथ उसके जांघों से कमर तक गया।
मेरा सर ऊपर होने लगा, और दोनों के ओठों की दूरियां कम होने लगी।
एक दम मेरे ओठों को उसके ओठ लगे, धीरे धीरे उसके upper लिप्स को दोनो ओठों से पकड़ दबाने लगा।
वो मेरे लोअर लिप्स को काटने लगा।
उसने अपना पैर नीचे कर दिया। दोनो हाथो से सर पकड़ किस करने लगे।
दोनो हाथो से कमर पकड़ लिया मैंने।
फिर थोड़ी देर बाद रुक गए। हम दोनों की सास भी तेज हो गई, मैन उसका राइट हैंड पकड़ रिटर्न्स अपने घर आया।
वो पीछे पीछे मैं सामने, उसका हाथ पकड़ उसे बेडरूम मैं लाया।
मैन दरवाजा लगा दिया, लाइट ऑफ कर दी।
एक जीरो लाइट शुरू था ओरेंज वाला।
हल्की ओरेंज रोशनी थी पूरे रूम।
Kiss करते करते हम बेड पर बैठा गए, मैन अपना टीशर्ट निकाल बाजू मैं फेक दिया।
उसने अपने दायांने हाथ से मेरे गालो को छूते हुए गर्दन तक ले गया, धीरे धीरे छाती तक ले गया, और कमर को पकड़ लिया, अपने लिप्स से मेरे चेस्ट की बटन को चूमने लगा।
मैंने उसके बालो को पकड़ लिया, वो धीरे धीरे काटने लगा, कभी दाये कभी बाये, मैं उसका टीशर्ट निकाल दिया।
मैं भी उसके गर्दन पर काटने लगा।उसकी पकड़ धीरे धीरे तेज होने लगी।
मैंने अपना ट्रैक पैंट निकाल दिया।
वो बेड पर था, पेर उसके जमीन पर थे, उसके सामने अपने जॉकी पर था मैं, उसने पकड़ मेरे पेट को चूमने लगा, एक गुदगुलि से होने लगी।
धीरे धीरे वो चूमते चूमते मेरे जॉकी को चूमने लगा।
में भी उसके बालो को पकड़ एक हाथ से उसके निपल को दबा रहा था।
धीरे से उसने जॉकी को नीचे किया, धीरे धीरे चूमने लगा, रात परवान चढ़ाने लगी और उसकी मुह की ताकत भी।
मैंने उसको बालो को पकड़ दूर किया, और उसका पेंट निकल साइड किया, रेड बॉक्सर भी निकल दिया।
कभी जो नही किया आज सारि हदे लांग कर मैंने हाथ मे लिया।
हल्का पानी था आया, एक बूंद थी, मैन उस बून्द को अपने जुबान से चखा, और हर खेत की फसल अलग होती पर ये कुछ ज्यादा ही था।
मेरे दिमाग मे बस यही था ये जो कर रहा ऐसा उसको भी करू।
मैं उसको चूमने लगा धीरे धीरे मुह मैं लेना शुरू किया, उसने मेरे बालो को पकड़ा, वो भी मुझे ज्यादा तकलीफ नही दे रहा था।
वो किस कर रहा था, तभी मोनिटर पर एक लड़का कंपाउंड से छलाँग मार घुसते हुए दिखा, मैंने रोशन bola
“देखो कोई तो घूसा”
रोशन भी देखा, और बोला चल बाहर।
मैं हा बोल निकला, घर के दरवाजे के बाहर निकलते रोशन भाग कर गया।
मैं उसके पीछे था, तभी कुत्ते भूकने लगे, और अजीबोगरीब एक मनहूसियत लगने लगी।
न पेड़ हिल रहे न कुछ, कुत्ते रोने लगे थे।
मैं भागा रोशन को रोकने, क्यों कि चोरों का कोई भरोसा नही था।
लाइट चली गई तभी, पूरे गार्डन मैं अंधेरा छा गया।
मैं चिल्लाने लगे “रोशन रोशन”
तभी मेरे सर पर जोर दार किसीने मार, मेरा सर घूम कर मैं जमीन पर गिर गया।
एक दम सुन्न सा पड़ा।
कुछ समय बाद,
मेरी आँखें बंद थी, एक दम शांत माहोल था।मेरा सर दुख रहा था और हाथ भी।
मैं अपनी आँखें खोली तो हॉस्पिटल मैं था।
हाथ को सेलाइन चल रही थी, माँ पापा दोनो बाजू मैं बैठे थे।
मैं उनको देख बोला “रोशन कहा है?”
पापा बोलते “वो बाजू के कमरे मे है, उसको पर्लेसिस मार दिया, दायाँ हाथ को। बोहोत जोर से उसके सर पर मारा था”
मैं एक दम चुप हो गया, और बोला “मुझे मिलना है”
पापा ने नर्स को बुलाके मेरी स्लाइन को बंद किया।
मैं वहाँ से उठा के उसके रूम गया, वो लेटा पड़ा था, मैं उसके साइड मैं जाकर बैठ गया।
वो आँखे खोल मुझे देख बोलता “ठीक हो?”
मेरे आखो मैं एक दम पानी आ गया।
मुझे देख मेरे माँ पापा भी रोने लगे, आम के पेड़ों को बचाना इतना भारी पड़ेगा लगा नही था।
रोशन के पापा अंदर आये मुझे देख बोलते “तुम पुलिस को कॉल क्यों नही किया?, क्या जरूरत थी खुद वाह जाने की”
मैं कुछ बोलने से पहले रोशन बोलता “मुझे लगा आम चोर कोई बच्चे होंगे”
रोशन के पापा “ हाथ अपाहिज कर बैठ गया”
वो रोने लगे, मुझे भी खुद पर घुस्सा आने लगा, न मैं उसे बोलता न वो जाता।
रोशन बोलता “डॉक्टर बोल रहे कुछ दिन मैं ठीक होंगा”
तभी डॉक्टर भी आये बोले “हा कुछ दिन में ठीक हो जायगा, पर तुम दोनों को ध्यान रखना पड़ेगा।“
वो चले गए।
मुझे भी घर जाने को बोल दिए।
रोशन को 1 दिन वही MRI के लिए रुकना था।
शाम को मैं ही घर आ गया।
पुलिस को पूरी रिकॉर्डिंग दे दिया, तब तक दोहपेर के 1 बज गए थे।
मेरे पेट मे स्लाइन के चलते भूक नही लगी थी।
पर माँ ने जर्बदस्ती खाने की प्लेट सामने लाइ।
मैंने एक निवाला मुह मैं लिया मुझे नमक नही लगा, मैं डालकर खाया, फिर वैसे ही मुझे कुछ ज़बान को मेहसूस ही नही हो रहा था।
मैं नमक चाट खाया फिर भी कुछ नही महसूस हो रहा था।
मैं एक दम परेशान हो गया।
सोचा कुछ खट्टा खा कर देखता। गार्डन गया पेड़ पर लगा कच्चा आम तोड़ दिया, चबा रहा था मेरे दाँत खट्टे हो गए पर जुबान को कुछ लग नही रह था।
मैं समझ गया था कि मेरे जुबान का सेंस चला गया था।
मैं परेशान हो गया, और भाग कर किचन गया, वह पड़ी मिर्ची खाया, हल्दी, सब मसाले खाये पर जबान सुन्न पड़ी थी।
मैन माँ को बाताया और जोर जोर से रोने लगा।
मेरी माँ मुझे पकड़ समझने लगी।
और वो भी खुद रोने लगी। इतनी कोस रही थी वो चोरो को।
पर कोसने से क्या होता, रोशन का हाथ अपाहिज़ कर गए मेरी जबान को।
उसदिन मैं शाम को हॉस्पिटल गया, पर हमने ये बात सिर्फ डॉक्टर को बताया।
न रोशन न उसके पिता को।
पापा मेरे रोशन के लिए आम लेके आ गए। मैं उसके पास जाके बैठ गया।
वो मुझे देख बोलता “क्या हुआ?”
मेरे चेहरे पर 12 बज गए थे “नही कुछ नही”
मेरे माँ पापा बाहर चले गए, रूम मैं और वो था।
रोशन मुझे बोलता ”एक आम कट करो तो जो मीठा लगे बस वो देना, मुझे यह दांतो को खट्टा नही करना”
मैं एक दम धर्मसंकट मैं पड़ गया, और एक आम कट कर खाया।
मुझे समज़ मैं नही आया कि मीठा है कि खट्टा।
मैं उसे बोला “अच्छा है खालो।“
उसने खाया और गंदी सी शकल बनाके बोलता “यहा तुम्हारे लिए हाथ अपाहिज़ कर बेठा, तुम्हें मजाक सूज रहा”
मैं उसकी बात सुन आँखों मे पानी ला दिया।
वो मुझे देख बोलता, “ यार मज़ाक करने का भी टाइम होता,जाओ यार तुम मुझे सोने दो, वो आम भी ले जाओ” उसने आँखे बंद मुह उधर कर दिया।
मैं उसे बताने वाला था कि ऐसा कुछ नही, पर उसको और परेशान नही कर सकता था मैं।
मैं उठाके चला गया, और धीरे धीरे दिन बीत गए और वो हॉस्पिटल से घर आ गया।
घर आने के बाद रोज उसके घर मे जाता था, रात को मेरे गार्डन आता था, हम पेड़ के नीचे बैठ उसके हाथ को मालिश कर देता था।
देहाती मालिश से उसका हाथ धीरे धीरे ठीक होने लगा था।
पर मेरे जबान ठीक नही हुई थी।
1 मंथ बाद वो ठीक हो गया, और जून का महीना चालू हो गया।
आम का सीजन जाने वाला था, रोशन पता चलता कि दे एक कॉम्पिटिशन होने जा रहा।
जिसमे आम के मालक अपने आम को पेश करते।
मैं भी गया रोशन के साथ , वहाँ जाके पता चला सबसे मीठे आम को इनाम था।
पर मैं हार गया।
रोशन मुझे लग गया सुनाने “तुम इतना भी नही दिमाग नही लगाए की पहले चख लेते फिर देते उनको।“
मैं खिड़की से बाहर देख रहा था चुप चाप।
वो मुझे बोलता “तुम्हें हुआ क्या आज कल?”
मैं उसको देखा भी नही रिप्लाई भी नही किया।
वो बोलता “ऐसा लग रहा तुम्हें बोर लगने लगा हु मैं, कोई और मिल गया क्या?”
मैं कुछ बोला भी नही, वो ही चालू हो गया। वो बोलता
“वैसे पापा की जमीन खरीदने कल आ रहे, तुम्हें तकलीफ नही दूंगा, जा रहा उनको लेके पूना”
मैं बाहर देख रहा था, मन ही मन उसकी बाते चुभने लगी थी।
मेरे आँखों मे पानी आ गया।
उसने घर के सामने रोक दी गाड़ी, मैं उतार के अपने रूम जाकर रोने लगा।
तभी रोशन पीछेसे आके गले लगाके बोलता “आंटी ने बताया कल ही, फिर भी ले गया, मुझे लगा अभी तो बताओगे”
मैं उसको पकड़ रोने लगा, “ मुझे कुछ नही महसूस होता, न नकम न खट्टा न मीठा, मैं कभी आम तोड़ नही खाया बेचने के लिए, हम खाने जाता फिर भी पता नही चलता”
उसने कसके पकड़ा और नीचे बगीचे मैं ले गया।
मुझे पेड़ो के बाजू खड़ा कर बोलता “ तुम्हारे 100 पेड़ो की दुआ है, आज कल डॉक्टर ताराकी किये है ईलाज है सब चीज का”
मैं रोने लगा फिर से वो धीरे से कान मैं बोलता “I love you Ajay, I am always with you”
Mai उसको गले लगाकर “I Love u too”
The End
Bolne se koi relationship nhi hota, time sab relationship ko banata, hamesha dialog Marne se pyar nhi hota, action hi kafi hoti.
Jindgi Mai aise bohot log milte Jo Apne aap Mai ek peheli hote , apan have kisi peheli ko sulza nhi sakte waise samz bhi nhi sakte..aise time usko unko chhodna hi thik hota..
Agar vo nasib Mai hai to return aayga warna nhi…
Thanks for reading plz like if u like and give your comments..
Your
Niketan Toshaan
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